श्री कमलेश शर्मा गृहस्थ योगी हैं। करीब 06 वर्ष की उम्र में गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य पंडित श्री श्रीराम शर्मा जी का मध्यप्रदेश भोपाल के समीप ग्राम खोकरकला जिला शाजापुर में आना हुआ था वहॉ आयोजित तीन दिवसीय सामुहिक गायत्री यज्ञ एवं व्याख्यान अपने माता-पिता के साथ 03 दिन रहकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया। आचार्य श्री राम शर्मा को करीब से देखना याद है एवं उनकी उर्जा इस भौतिक शरीर में आज भी विधमान है।
आध्यात्मिक यात्रा क्रिया योगी, नाथ योगी, ज्योतिष विधा के मार्तण्ड, कुण्डलिनी विषेषज्ञ, श्री कृष्णराव द्रोण जो वर्तमान में स्वामी कृष्णानंद वानप्रस्थी के नाम से जाने जाते हैं भोपाल में ही ज्योतिष विधा एवं क्रिया योग की दीक्षा दे रहे हैं से क्रांतिकारी तरीके से शुरूवात हुई । उनके कई शिष्य सन्यास दीक्षा में क्रिया योगी हैं ।
क्रिया योग की दीक्षा महानतम संत क्रिया योगी स्वामी ब्रम्हानंद बाबा जी से भोपाल में ही प्राप्त की गयी जो अब ब्रम्हलीन है । वर्ष 1996 में परमहंस योगानन्दजी के गुरू भाई परमहंस स्वामी हरिहरानन्दजी जिनका आश्रम जगन्नाथ पुरी स्थित बालीघाई आश्रम मैं है वहाॅं वर्तमान में पीठासीन परमहंस प्रज्ञानंदजी के सानिध्य में 03 माह का इन्टरनेशनल ब्रम्हचारी प्रशिक्षण कोर्स जिसमें क्रिया योग की साधना, वेद, पुराण, शास्त्र आदि का ज्ञान पूरे विश्व से आए कई साधको के साथ प्राप्त करने का मौका मिला । क्रिया योग की उच्चतर साधना दीक्षा के रूप में प्राप्त की गयी ।
एक अन्य ज्योतिषी से यंत्र, मंत्र, तंत्र की विधा सीखी । दण्डी स्वामी मोहनानंद सरस्वतीजी महाराज जो कि करपात्री महाराज जी के शिष्य थे जो चारो पीठो के शंकराचार्य को दीक्षा देते थे उनके साथ अधिकांश समय रहकर श्री विधा ललिता त्रिपुरसुंदरी की साधना हासिल की ।
दो बार कुम्भ मेले में जाना हुआ । प्रथम बार प्रयागराज में 45 दिन का समय नाथ संप्रदाय के युवा नाथ योगी स्वामी कैवल्यनाथजी जिनका आश्रम आसाम में है के साथ रहकर अलग-अलग संतो के साथ बिताया । जिसमें पायलेट बाबा के साथ भी अधिकांश समय बिताया जिसमें उनके साथ रहकर समाधि की अवस्था कैसे पायी जाती है, साधना की जानकारी ली गयी । द्वितीय बार कुम्भ मेले में भी उज्जैन मेले में भी कुछ समय बिताया ।
बनारस में लाहरी महाशय के निवास स्थान का दर्शन करने हेतु विशेष तोर पर भ्रमण किया गया एवं काशी के बारे में अदभुत जानकारी प्राप्त की । तभी से सबकुछ लाहिरी महाशय की परम्परा में सूक्ष्म रूप से दीक्षित होकर लोगो को क्रिया योग सिखाने की प्रेरणा दे रहा हूॅूं ।
लाहरी महाशय जो कि एक महान गुरू हैं के एक शिष्य जिनका योगीकथामृत में जिक्र है स्वामी प्रणवानंदजी, द्विशरीरी संत उनके आश्रम में भी जाना हुआ ।
अभी तक गायत्री मंत्र की साधना, क्रिया योग साधना, सुदर्शन क्रिया, विपसना, यज्ञ करना, मंत्र साधना, वृंदावनी उपासना प्राप्त की
सात्विक षाम्भवी तंत्र की साधना जो महादेव के द्वारा माता पार्वती को सुनाई गई का भी वर्तमान में प्रेक्टिसनर हॅूं । छोटे-छोटे उपाय एवं ज्योतिष के माध्यम से तथा ब्लेक एनर्जी, वास्तु दोष से लोगों की परेशानियों का हल करना मेरी दिनचर्या में शामिल है ।
400 से अधिक पुस्तको का अध्ययन ।
खुश रहना । हमेशा दूसरो की मदद करना । पंछियो से प्यार । पेट लवर । अधिक से अधिक लोगो को ध्यान सिखाना ।
अभी तक की साधना का अनुभव जीवन में सादगी भरा, सात्विक जीवन जीना, हमेशा खुश रहना, दूसरो की मदद करना अधिकांश समय आध्यात्मिक साधना मेें लगाना । पशु पक्षियो के प्रति अति प्रेम । प्रकृति प्रेमी । जातिवाद से ऊपर उठ कर कार्य करना । सभी के जीवन में आध्यात्मिक चेतना का प्रसार हो इसके लिए प्रत्येक दिन ध्यान करने के लिए प्रेरणा देना, कुण्डलिनी षक्तिपात के माध्यम से ध्यान जागृति के द्वारा लोगो को अग्रसर करने का प्रयास जारी है ।
आज से कई वर्ष पूर्व आत्मबोध होने के बाद मन में एक इच्छा प्रकट हुई क्यों न इस भागवत ज्ञान को प्रसाद के रूप में बांटा जाए । तभी से विचार करते-करते करीब चार माह पूर्व ब्रम्हमुहुर्त ध्यान प्रातःकाल 03.25 से 05.00 बजे तक एवं रात्रिकालीन में 10.00 बजे से 11.00 बजे तक श्वासरहित ध्यान सिखाना निरंतर जारी है ।
We use cookies to analyze website traffic and optimize your website experience. By accepting our use of cookies, your data will be aggregated with all other user data.